Two Line Shayari
भरे बाजार से अक्सर मैं खाली हाथ आया हूँ,कभी ख्वाहिश नहीं होती कभी पैसे नहीं होते।
जिद में आकर उनसे ताल्लुक तोड़ लिया हमने,अब सुकून उनको नहीं और बेकरार हम भी हैं।
तलब करें तो मैं अपनी आँखें भी उन्हें दे दूँ,मगर ये लोग मेरी आँखों के ख्वाब माँगते हैं।
नींद चुराने वाले पूछते हैं सोते क्यों नही,इतनी ही फिक्र है तो फिर हमारे होते क्यों नही।
मैं एक शाम जो रोशन दीया उठा लाया,तमाम शहर कहीं से हवा उठा लाया।
कद बढ़ा नहीं करते, ऐड़ियां उठाने सेऊंचाईया तो मिलती हैं, सर झुकाने से।
नजरों में दोस्तों की जो इतना खराब है,उसका कसूर ये है कि वो कामयाब है।
दो शब्द तसल्ली के नहीं मिलते इस शहर में,लोग दिल में भी दिमाग लिए घूमते हैं।
सितम तो ये है कि ज़ालिम सुखन-सनास नहीं,वो एक शख्स जो शायर बना गया मुझको।
नजरों में दोस्तों की जो इतना खराब है,उसका कसूर ये है कि वो कामयाब है।
शेर-ओ-सुखन क्या कोई बच्चों का खेल है?जल जातीं हैं जवानियाँ लफ़्ज़ों की आग में।
बे-फिजूली की जिंदगी का सिल-सिला ख़त्म,जिस तरह की दुनिया उस तरह के हम।
चेहरे पर सुकून तो बस दिखाने भर का है,वरना बेचैन तो हर शख्स ज़माने भर का है।
हम उस तकदीर के सबसे पसंदीदा खिलौना हैं,वो रोज़ जोड़ती है मुझे फिर से तोड़ने के लिए।
फूल बनने की खुशी में मुस्कुरायी थी कली,क्या खबर थी ये तबस्सुम मौत का पैगाम है।
जिन जख्मो से खून नहीं निकलता समझ लेनावो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है।
हाल जब भी पूछो खैरियत बताते हो,लगता है मोहब्बत छोड़ दी तुमने।
मेरा झुकना और तेरा खुदा हो जाना,यार अच्छा नहीं इतना बड़ा हो जाना।
तेरी खामोशी, अगर तेरी मज़बूरी है,तो रहने दे इश्क़ कौन सा जरुरी है।
इतना कहाँ मशरूफ हो गए हो तुम,आजकल दिल दुखाने भी नहीं आते।
अगर एहसास बयां हो जाते लफ्जों से,तो फिर कौन करता तारीफ खामोशियों की।
मेरी आवाज़ ही परदा है मेरे चेहरे का,मैं हूँ ख़ामोश जहाँ, मुझको वहाँ से सुनिए।
अहमियत यहाँ हैसियत को मिलती है,हम है कि अपने जज्बात लिए फिरते हैं।
तेरी मोहब्बत को कभी खेल नही समझा,वरना खेल तो इतने खेले है कि कभी हारे नही।
पसंद आ गए हैं कुछ लोगों को हम,कुछ लोगों को ये बात पसंद नहीं आयी।
कुछ अलग सा है अपनी मोहब्बत का हाल है,तेरी चुप्पी और मेरा सवाल।
सुना है अब भी मेरे हाथ की लकीरों में,नजूमियों को मुक़द्दर दिखाई देता है।
आजकल देखभाल कर होते हैं प्यार के सौदे,वो दौर और थे जब प्यार अन्धा होता था।
मौजों से खेलना तो सागर का शौक है,लगती है कितनी चोट किनारों से पूछिये।
उसने हर नशा सामने लाकर रख दिया और कहा,सबसे बुरी लत कौन सी हैं, मैने कहा तेरे प्यार की।
मैंने देखा है बहारों में चमन को जलते,है कोई ख्वाब की ताबीर बताने वाला?
मेरे इरादे मेरी तक़दीर बदलने को काफी हैं,मेरी किस्मत मेरी लकीरों की मोहताज़ नहीं।
फासले इस कदर हैं आजकल रिश्तों में,जैसे कोई घर खरीदा हो किश्तों में।
अपनी हार पर इतना शकून था मुझे,जब उसने गले लगाया जीतने के बाद।
खुद को भी कभी महसूस कर लिया करो,कुछ रौनकें खुद से भी हुआ करती हैं।
हमारा कत्ल करने की उनकी साजीश तो देखो,गुजरे जब करीब से तो चेहरे से पर्दा हटा लिया।
हम ने रोती हुई आँखों को हँसाया है सदा,इस से बेहतर इबादत तो नहीं होगी हमसे।
ये कशमकश है कैसे बसर ज़िन्दगी करें,पैरों को काट फेंके या चादर बड़ी करें।
कौन कैसा है ये ही फ़िक्र रही तमाम उम्र,हम कैसे हैं ये कभी भूल कर भी नही सोचा।
हम तो शायर हैं सियासत नहीं आती हमको,हम से मुँह देखकर लहजा नहीं बदला जाता।
सीख नहीं पा रहा हूँ मीठे झूठ बोलने का हुनर,कड़वे सच से हमसे न जाने कितने लोग रूठ गये।
इस दौरे सियासत का इतना सा फ़साना हैबस्ती भी जलानी है मातम भी मनाना है।
यहाँ सब खामोश हैं कोई आवाज़ नहीं करता,सच बोलकर कोई, किसी को नाराज़ नहीं करता।
वही ज़मीन है वही आसमान वही हम तुम,सवाल यह है ज़माना बदल गया कैसे।
ज़िंदा रहने की अब ये तरकीब निकाली है,ज़िंदा होने की खबर सबसे छुपा ली है।
बंद मुट्ठी से जो उड़ जाती है क़िस्मत की परी,इस हथेली में कोई छेद पुराना होगा।
मुझे ऊँचाइओं पर देखकर हैरान है बहुत लोग,पर किसी ने मेरे पैरो के छाले नहीं देखे।
अल्फाज तय करते हैं फैसले किरदारों के,उतरना दिल में है या दिल से उतरना है।

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